आंदोलनकारियों ने बुधवार को एक सरकारी दफ़्तर में आग लगा दी |
वाममोर्चे के तीन घटक दलों, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फॉरवर्ड ब्लॉक और आरएसपी ने इस मुद्दे पर मुख्य घटक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) से अपना विरोध व्यक्त किया है.
तीनों दलों ने कहा है कि अगर इस मुद्दे पर सीपीएम उनकी बातों से सहमत नहीं होती है तो उनकी पार्टी के मंत्री राज्य कैबिनेट से इस्तीफा दे देंगे.
राज्य सरकार की कैबिनेट में कुल 44 मंत्री हैं जिनमें से 10 इन तीनों घटक दलों के हैं. हालांकि घटक दलों ने समर्थन वापसी जैसी स्थिति से इनकार किया.
पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में इस सप्ताह बुधवार को हुई पुलिस गोलीबारी में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.
गर्माहट
इससे पहले वाममोर्चे में शामिल तीनों घटक दलों ने शुक्रवार को एक बैठक की और सीपीएम के सामने कुछ माँगें रखीं.
इनके मुताबिक राज्य सरकार से कहा गया है कि नंदीग्राम से अतिरिक्त पुलिस बल को तत्काल वापस बुलाया जाए और राज्य भर में जितने भी विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी एसईज़ेड प्रस्तावित हैं, उन्हें निरस्त किया जाए.
लोग पुलिस फ़ायरिंग का विरोध कर रहे हैं |
घटक दलों की माँग है कि इस घटना पर वाममोर्चे की ओर से एक निंदा प्रस्ताव पारित किया जाए और सीपीएम इस पूरी घटना की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले क्योंकि ऐसा क़दम उठाने से पहले मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने वाममोर्चे के दूसरे दलों से कोई परामर्श नहीं लिया था.
साथ ही यह भी कहा गया है कि आगे से कोई भी अहम फैसला लेने से पहले राज्य सरकार पूरे मामले को वाममोर्चे के समक्ष रखे और सभी घटक दलों को उससे अवगत कराए.
शनिवार की बैठक में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हो रही है. नंदीग्राम की घटना पर घटक दलों के इस तेवर से सत्तारूढ़ मुख्य वामपंथी पार्टी सीपीएम की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं.
जाँच की आँच
नंदीग्राम में केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई की टीम पहुँच गई है और जाँच का काम शुरू हो गया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने नंदीग्राम की घटना को गंभीरता से लेते हुए इसकी सीबीआई से जाँच कराने का निर्देश दिया था.
अभी तक की जाँच के बाद जो सबूत सामने आए हैं उनमें एक 315 बोर का कारतूस भी है. इस बारे में जानकारी देते हुए सीबीआई अधिकारी विनोद मिश्र ने बताया कि यह कारतूस पुलिस बल का नहीं है.
दरअसल, राज्य सरकार की ओर से पुलिस को जो हथियार मिले हैं उनमें 303 बोर, 7.26 बोर और 9 एमएम पिस्तौल ही इस्तेमाल होते हैं. इस आधार पर कहा जा रहा है कि बरामद हुआ सबूत पुलिस की बंदूक का नहीं है.
उधर केंद्र के विपक्षी गठबंधन एनडीए का एक प्रतिनिधिमंडल लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में शनिवार को नंदीग्राम पहुँच रहा है. सीपीआई (एमएल) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य, मेधा पाटकर और कुछ अन्य समाजसेवी, मानवाधिकार संगठनों के लोग भी नंदीग्राम पहुँच रहे हैं.
विरोध जारी
नंदीग्राम में इस घटना को लेकर विरोध-प्रदर्शन का दौर अभी भी जारी है. शुक्रवार को दो मृतकों के शव उठाकर भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे लोगों ने एक जुलूस निकाला.
इस गोलीबारी में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई थी |
उग्र जुलूस ने पंचायत कार्यालय और स्थानीय सीपीएम कार्यालय में आग लगा दी. इस जुलूस में लगभग 20 हज़ार लोग शामिल हुए थे.
इससे पहले शुक्रवार को नंदीग्राम की घटना के विरोध में घोषित बंद के दौरान पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और विपक्षी पार्टी के समर्थकों के बीच झड़पे हुई थी. इनमें लगभग 100 लोग घायल हो गए थे.
विपक्षी दलों के समर्थकों ने कम से कम 10 सरकारी बसों में आग लगा दी. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में छह सरकारी अधिकारियों पर हमला किया गया.
शुक्रवार को विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी की ओर से अलग-अलग एक दिन के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया था.
विवाद
पूर्वी मिदनापुर ज़िले के नंदीग्राम के लोग पिछले कुछ समय से खेती की ज़मीन लेकर रसायन संयंत्र लगाने का विरोध कर रहे थे और इसी को लेकर वहाँ पिछले कुछ दिनों से तनाव था.
दरअसल, नंदीग्राम में प्रस्तावित रासायनिक इकाइयों के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर यह पूरा विवाद खड़ा हुआ है.
यहाँ लोगों की ज़मीन पर ये इकाइयाँ लगाई जानी थीं जिनका स्थानीय लोगों ने विरोध किया.
राज्य सरकार भी इस बारे में अपने फैसले को टालने की बात कह चुकी है पर लोगों के मन में सरकार की बातों की विश्वसनीयता शायद कम ही है.
मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मौखिक रूप से तो घोषणा कर दी थी कि वो इस योजना को वापस ले रहे हैं पर इस बारे में जारी की गई अधिसूचना को अभी तक आधिकारिक रूप से वापस नहीं लिया गया है.
बुधवार को गोलीबारी की यह घटना तब हुई जब स्थानीय लोग इस क्षेत्र में सरकार और पुलिस के प्रवेश का विरोध कर रहे थे. राज्य सरकार की ओर से वहाँ 5000 पुलिसकर्मी मौजूद थे.
बीबीसी से साभार
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