धुरविरोधी का आपके लिये सादर परनाम. आप हमारे बाप से ज्यादे उमिर के हैं इसलिये हमें अधिकार है कि आपको ताऊ बोलें. हर गाम में एक ताऊ होता है जो इधर उधर गाम के लोगों ऊपर धोंस जमाता रहता है, गाम के गरीब गुरबा की जमीन पर कब्जे की सोचता रहता है, भले ही आप नंदीग्राम और सिंगुर की जमीन पर आपकी नजर है, मगर हम तो पहले वाली वजह से ही आपको ताऊ बोल रहे हैं.
आज के जनसत्ता के फिरंट पेज पर नजर पढी़ कि नंदीग्राम में तकरीबन पन्द्रह आदमी मर गये. हमने तो अखबार उठा कर रख दिया. कौन पढे अब इन बातन को? पर तुम्हारे भतीजा है ना, तो सोची कि मुस्किल बखत में ताऊ को थोड़ा सहारा दे दें. वैसे हमने तुम्हारे लेटेस्ट हंसते मुस्कराते इत्ते फोटू देखे हैं कि हमें पक्का भरोसा है आप डेल कारनेगी की किताब चिन्ता छोड़ो, सुख से जीयो का पारायण रोजाना करते हैं. आपको धुरविरोधी के सहारे की जरूरत नहीं है.
ताऊ, आपके झंडे से किसान-मजूर का हंसिया हथोड़ा अब अन्तर्धान हो चुका है, अब यह बासा खूसा लाल रंग का कपड़ा एसा लगता है कि किसी बनिये के पुराने बहीखाते से उतार कर डंडे पर चड़ा लिया हो. इसे सिर्फ़ हानि लाभ, नुकसान फायदे से मतलब दिख रहा है. अब डंडे पर हानि लाभ की इबारत चढ़ी हो तो यह नुकसान पहुंचाने वालों पर बरसेगा ही. वैसे आप चिन्ता न करो. हम गरीब आदमी तो मख्खी मच्छर है. थोड़ा काटेंगे पर जब तुम्हारा हाथ पडे़गा तो कुचल जायेंगे. आप बस खून पौछ लेना.
बंगाल में आजकल जब कोई बच्चा रोता है तो मां बोलती है कि चुप होजा नहीं तो वुध्ददेब ताऊ आ जायेंगे और बच्चा कस के दोनों आंख मूंद लेता है. मां को मालूम है कि बच्चा सोया नहीं बस आखें मूंदे है, बिलकुल जैसे यूपीए मैं आपके सहयोगी सोये नहीं बस आंखे मूंदे है. हर इन्दर को अपने अपने सिंहासन की चिन्ता है. यूपी में हल्लाबोल मचाने वाले मांडा के राजासाब बंगाल के मामले पर चुप्पईचुप्प हैं. थोड़ी देर हुये कांगरेसी मानस भूमिया ने बताया कि कम से कम पच्चीस मरे, तीन सौ घायल हुये. यहां पढ़ा कि लोगों की लाशें सड़क पर पड़ी है, पुलिस उन्हे घर ले जाने नहीं दे रही. जांलियाबाला बाग वगैरह क्या क्या. सबको जे नूरा कुस्ती मालूम है. कबीरदास ने इन्हीं पोलिट्क्सियाये लोगों के देख के लिखा था, साधो, ये अंधों का गांव. आप बिल्कुल चिन्ता मत करना हम लोग तो अपनी सारी गर्मी “रंग दे बसंती“ देखकर निकाल देगें. हमें तो जनार्दन भैया की सिक्छा याद है कि कबित्त चुटकला पढो़, कौन इन बातन के बारे में सोचे.
मगर ताऊ आपकी पाल्टी जब कारखानेदारों के लिये एसे धतकरम करती है तो एसा लगता है कि हीरोइन हीरो की और ठुमके लगा कर कह रही हो कि “सलामे इश्क मेरी जां जरा कबूल कर लो“. आपके ठुमके और पलटी के आगे हीरोइन की पलटी बेकार. हीरोइन की पल्टी में भी कित्ते लोगों का कतल होता था और आपकी पल्टी में भी दनादन लोग मर जाते है तो आपका का कसूर? हीरो बोल देता था कि बस्स प्रोफ़ेसनल रेलेशन है, टाटा मोटर वाला भी बोल देता है हमें का मालूम बस्स बिजनेस रिलेसन हैं. हीरोइन और हीरो दोनों को मालूम है कि गलती है, आप और टाटा को भी मालूम है कि गलत है. पर का करें मजबूर हैं. हमें आपसे पूरमपट्ट इत्तेफाक है कि कुछ तो मजबूरियां रही होगीं, यू कोई बेवफा नही होता. सिंगुर और नंदीग्राम के लोग कहते हैं कि भट्टाचारजी की पाल्टी वेबफ़ाई कर रही है. मगर हम समझते है कि इत्ते साल साथ रहते रहते ऊब हो ही जाती है. भाड़ में जाने दो इन लोगों को, आप तो नई सेज (SEZ) बिछाओ, नया संईया आयेगा, गहने जेवर देगा. बिचारा पुराना वाला तो पांच साल के बाद वोट भी मुश्किल से देता था. जे बाला सिस्टम ठीक है, एक ही बार में आरम पार.
हमें मालूम है कि कित्ते भी मरें पर तुम पर कोई असर न होगा. आपकी तौ संवेदना की नसें बेकार हो चुकी है. गुसांई जी कह गये हैं कि “सत्ता पाय काय मद नाहीं“. अबई आप मद में चूर हो तो कुछ भी न सुन पाओगे. मगर ताऊ, कल्ल को जब जे कुरसी न बचैगी तब का होयगो? कौन से मुंह से बाहर निकरौगे ?
हत्यारे ताऊ, बस्स करौ, और कितना खून पीओगे ?
ताऊ, जाते जाते इत्ता और बता जाते हैं कि हमें जे सब लिखने की इच्छा प्रमोद सिंह के लेख पर आपके मुस्कराते फोटू को देखकर हुई. अगर कुछ हमारी पिटाई विटाई करने का मूड हो तो यहां आने के बजाय उन्ही के पास जाकर चित्त हलका कर आना.
आपका भतीजा.
धुरविरोधी
http://dhurvirodhi.wordpress.com से साभार.
1 comment:
धुर्विरोधी जी, एक ताऊ त अंगरेज रहेन - जे जलियांवाला में गोली चलवायेन. अंगरेजन क केतना इज्जतबा, आप के मालूम होये. हमरे देस में केतना लोग हयें, जेनके वीसा मिलिजाइ त पैदलै लन्दन के चलि देइं.
दूसर ताऊ साम्यवादी हएन. तऊन देखत हय न कि चीन अमेरिका के पछारत बा. बंगाल वाले भी इहै कै सकत हैं.
गोली-गाली त लोग भुलाइ जाथीं. इ ताऊ बुद्ध देब के मालूम बा.
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