सीपीएम की क्रांति

सीपीएम की क्रांति
हम एक लोकतंत्र में रह रहे हैं! 14 मार्च को हुई घटना और उसके बाद सीपीएम के बंद के दौरान गायब हुए दो सौ लोगों का अब तक कोई अता-पता नहीं है्. हां। कुछ लाशें हैं जो इलाके में इस हालत में पायी गयी हैं. क्या हम बता सकते हैं कि इन्होंने किस बात की कीमत चुकायी? क्या हम इसको लेकर आश्वस्त रह सकते हं कि हमें भी कभी ऐसी ही कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी?

Tuesday, March 20, 2007

Carnage claims second son


Nandigram, March 19: Suhasini Mondal stood at her doorstep, holding two cups her footballer son Pushpendu had won some months ago. The hands that had welcomed the triumphant 26-year-old many a time could hardly bear the weight of the trophies.

A cycle van carrying Pushpendu’s body arrived at his home in Gangra last evening. Pushpendu was the youngest child of Suhasini, 60, and Pulinbehari, 68. They have three other sons.

The Mondals, though, are no stranger to tragedy. Pushpendu, who was shot in the stomach, is the second member the family has lost to the agitation against land acquisition in Nandigram. The body of 32-year-old Bharat Mondal, Pushpendu’s cousin, was found floating in Talpatti canal with a bullet hole in his stomach after the January 7 violence.

Suhasini placed the cups beside her son’s head and broke down. “I don’t want these prizes any more. Every time I see them, it reminds me of Pushpendu,” she said.

Nearly 1,500 villagers accompanied Pushpendu’s body home from the Tamluk hospital morgue.

The body, in a decomposed state, was kept in the courtyard of the two-storey tiled house of the Mondals. The well-to-do farmers, who are Congress supporters, own about 18 bighas.

Nearly 200 youths from Ma Ganga Club, where Pushpendu used to play football, came to take his body around 8 this morning for cremation along with about 2,000 residents of Sonachura, Kendamari and other neighbouring villages.

Pushpendu, who was training to be a motor mechanic, left home for Bhangabera bridge in the small hours of Wednesday along with brother Dibyendu and other villagers.

“We were together in Sonachura when the police marched in around 10 am. Then suddenly things spun out of control. I could not see anything as my eyes were burning from tear gas. We were all running helter-skelter when the police started firing at us. It was a little before 11 am when I saw Pushpendu for the last time running towards the Talpatti canal. I ran towards Mondalpara,” recalled Dibyendu.

http://www.telegraphindia.com

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नंदीग्राम पर नयी फ़िल्म

यह फ़िल्म 14 मार्च की घटनाओं के सूक्ष्म विवरण के साथ आयी है.

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उन्होंने मेरे पिता को टुकडों में काट डाला

देखें : न हन्यते

नंदीग्राम में 100 से ज्यादा लोग मारे गये हैं, 200 अब भी लापता हैं. वहां महिलाओं के साथ सीपीएम के कैडरों ने बलात्कार किया. बच्चों तक को नहीं छोड़ा गया है. सीपीएम की इस क्रूरता और निर्लज्जता का विरोध होना चाहिए. हमें नंदीग्राम, सिंगूर और हर उस जगह के किसानों के आंदोलन का समर्थन करना चाहिए, जो अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. यह दस्तावेज़ी फ़िल्म किसानों के इसी संघर्ष के बारे में है. यह फ़िल्म नंदीग्राम के ताज़ा नरसंहार से पहले बनायी गयी थी.

नंदीग्राम में जनसंहार के बाद के द्श्‍य

यह फिल्‍म पुलिस द्वारा नंदीग्राम में बर्बर तरीके से की गयी हत्‍याओं एवं उनकी भयावहता व बर्बरता के बारे में है. इसके कई दृ़श्‍य विचलित कर देनेवाले हैं.

नंदीग्राम प्रतिरोध्‍

नंदीग्राम में सरकारी आतंक

देखें : माकपा की गुंडागर्दी

नंदीग्राम में सीपीएम सरकार की पुलिस ने जो बर्बर कार्रवाई की, वह अब खुल कर सामने आने लगी है. यह फ़िल्म उसी बर्बरता के बारे में है. इसके कई दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं. आप इसे तभी देखें जब आप वीभत्स दृश्य देख सकने की क्षमता रखते हों. हम खुद शर्मिंदा हैं कि हमें ऐसे दृश्य आपको दिखाने पड़ रहे हैं, पर ये आज की हकीकत हैं. इनसे कैसे मुंह मोडा़ जा सकता है?