सीपीएम की क्रांति

सीपीएम की क्रांति
हम एक लोकतंत्र में रह रहे हैं! 14 मार्च को हुई घटना और उसके बाद सीपीएम के बंद के दौरान गायब हुए दो सौ लोगों का अब तक कोई अता-पता नहीं है्. हां। कुछ लाशें हैं जो इलाके में इस हालत में पायी गयी हैं. क्या हम बता सकते हैं कि इन्होंने किस बात की कीमत चुकायी? क्या हम इसको लेकर आश्वस्त रह सकते हं कि हमें भी कभी ऐसी ही कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी?

Sunday, March 25, 2007

Prabhat Patnaik Call for calm

New Delhi, March 24: More than a week after the Nandigram firing, a group of intellectuals sympathetic to the CPM today appealed for calm even as the party struggled to stem the waves of criticism over the massacre.

“Nobody belonging to the Left would ever justify repressive action against peasants or workers who are the basic classes of the Left,” said a statement released by economist Prabhat Patnaik.

The statement is, however, silent on why they took so long to wake up to the police action on the villagers.

“We appeal to all concerned not to let the wounds of Nandigram become festering sores,” it said while appreciating the steps the state took after the March 14 firing that killed more than a dozen.

“The Left Front government… has announced the removal of the police force from Nandigram, has reiterated… that no land will be acquired for industrial purposes without the consent of the peasants…, has put on hold all land acquisition, and has put a halt to the construction of SEZs (special economic zones) until the central legislation on SEZs itself… is suitably amended.”

Under these circumstances, the statement added, “all efforts must be made so that tension subsides and normalcy returns to the area”.

Among those who signed the statement are Amiya Kumar Bagchi (Institute of Development Studies, Calcutta), theatre activist M.K. Raina, Malini Bhattacharya (who was with Jadavpur University), Utsa Patnaik, Jayati Ghosh, Mohan Rao (all three are with JNU), Nasir Tyabji (Jamia Millia Islamia, Delhi) and activist Teesta Setalvad.

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नंदीग्राम पर नयी फ़िल्म

यह फ़िल्म 14 मार्च की घटनाओं के सूक्ष्म विवरण के साथ आयी है.

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उन्होंने मेरे पिता को टुकडों में काट डाला

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नंदीग्राम में 100 से ज्यादा लोग मारे गये हैं, 200 अब भी लापता हैं. वहां महिलाओं के साथ सीपीएम के कैडरों ने बलात्कार किया. बच्चों तक को नहीं छोड़ा गया है. सीपीएम की इस क्रूरता और निर्लज्जता का विरोध होना चाहिए. हमें नंदीग्राम, सिंगूर और हर उस जगह के किसानों के आंदोलन का समर्थन करना चाहिए, जो अपनी जमीन बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. यह दस्तावेज़ी फ़िल्म किसानों के इसी संघर्ष के बारे में है. यह फ़िल्म नंदीग्राम के ताज़ा नरसंहार से पहले बनायी गयी थी.

नंदीग्राम में जनसंहार के बाद के द्श्‍य

यह फिल्‍म पुलिस द्वारा नंदीग्राम में बर्बर तरीके से की गयी हत्‍याओं एवं उनकी भयावहता व बर्बरता के बारे में है. इसके कई दृ़श्‍य विचलित कर देनेवाले हैं.

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नंदीग्राम में सीपीएम सरकार की पुलिस ने जो बर्बर कार्रवाई की, वह अब खुल कर सामने आने लगी है. यह फ़िल्म उसी बर्बरता के बारे में है. इसके कई दृश्य आपको विचलित कर सकते हैं. आप इसे तभी देखें जब आप वीभत्स दृश्य देख सकने की क्षमता रखते हों. हम खुद शर्मिंदा हैं कि हमें ऐसे दृश्य आपको दिखाने पड़ रहे हैं, पर ये आज की हकीकत हैं. इनसे कैसे मुंह मोडा़ जा सकता है?